रूठ मत जाना
गीतिका
~~
रूठ मत जाना बहुत है आपसे जब प्यार।
स्नेह का अनुबंध हमको पूर्ण है स्वीकार।
हर तरफ जब खूबसूरत खिल रहे हैं फूल।
खूब महकी जा रही हैं घाटियां उस पार।
स्नेह की मधुरिम हमें जब बात आती याद।
देखिए तो हो रहे झंकृत हृदय के तार।
स्नेह की अनुभूतियों में जब गये हम डूब।
प्यार में स्वीकार कर लें जीत हो या हार।
साथ हैं गुजरे हमारे क्षण बहुत अनमोल।
आपके ही साथ है जाना हमें उस पार।
~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य, २६/०५/२०२४