रूठे होते तो मना लेती ।
रूठे होते मना लेती ,
यहां तो प्यार ही नहीं।
ये गम कम है क्या ,
सारी उम्र के लिए।
निर्णय नहीं ,प्यार भी नहीं,
तो संग हैं क्या ,
हालाते दरम्यान वजूद क्या ?
तो सारी उम्र गम में गुजरी तो क्या? _ डॉ. सीमा कुमारी ,
बिहार (भागलपुर) दिनांक- 28-1-022