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30 Jul 2021 · 1 min read

रूठी रूठी सी लगती हो ?

रूठी रूठी सी लगती हो
कुछ हो सा गया है ?
उदासी है चेहरे पर
दिल कहीं खो सा गया है?

दिन अच्छा लगता नहीं
रातों की भी नींद गयी
बाबरी सी घूम रही ,
घर और आँगन में
चिलचिलाती धूप में
छाले पड़े पाँवन में।

उजड़ा सा सँसार यह
लगता निराश वह,
सूर्यास्त के साथ ही
बढ़ जाता विरह!

फिर वही आती रात
करती है मन अघात
बार बार करके याद
करती है प्राण पात।
©”अमित”

Language: Hindi
4 Likes · 438 Views
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