रूठना मनाना
बरसों बरस बीत गए बीत जाने दो
वो हमसे हैं रूठ गए रूठ जाने दो
सदियां लग जाएंगी मान मनोवल में
उनको भी तो एक बार याद आने दो
हर बार हम ही उन्हें मनाएं ऐसा क्यों
वो बार बार हमको सताएं ऐसा क्यों
दिल ही तो चुराया था जागीर तो नही
फिर भी वो रिपोर्ट लिखाएं ऐसा क्यों
वो जीने भी नही देते मरने भी नही देते
गिला शिकवा शिकायत करने भी नही देते
नरमी हम बरते और वो अकड़ते ही रहें
चुपके से सरकना चाहा सरकने भी नही देते
वीर कुमार जैन
26 जुलाई 2021