रूठना और भी खूबसूरत हो जाता है
रूठना और भी खूबसूरत हो जाता है
मनाये जाने के बाद
मनाये जाने के अभाव में
रूठना हो सकता है
बेहद बदसूरत।
कुछ छल इतने निश्छल होते हैं कि
हंस पड़ता है ईश्वर भी
उन छलियों पर
स्नेह हमेशा मिठाई सा नही होता
जो जीभ पर रखा और मुँह मीठा
कभी कभी होता है स्नेह आंवले सा
कसैलेपन के बाद भी देर तक मिठास
सब लड़ाइयां द्वेष वश नही होतीं
कुछ लड़ाईयां की जाती है
अनुराग बढ़ाने के लिए।