” रूकता कहां है “
ये प्यार है जानम ,
इसका सिलसिला आंखों से शुरू हो कर भी आंखों पर रूकता कहां है ।
ये एहसास सिमट कर सिमटता कहां है ,
इस मोहब्बत का सिलसिला रूकना कहां है ।
ये हाले दिल समझ कर भी समझता कहां है ,
ये प्यार भरा दिल का दरिया रूकता कहां है ।
ये सजदे में तेरे झुक भी झुकता कहां है ,
ये बेकरारी का ख्याल रूकता कहां है ।
ये आंखों में छिप कर भी छिपता कहां है ,
ये आंखों की नमी बनी कर रूकता कहां है ।
ये मन की खुशबू बन कर महता कहां है ,
ये अश्कों का सिलसिला रूकता कहां है ।
ये तन निखर कर भी निखरता कहां है ,
ये हृदय टूट कर भी रूकता कहां है ।
? धन्यवाद ?
✍️ ज्योति ✍️