रुत प्यार की
******** रुत प्यार की ********
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आ गई है देखो फिर , रुत प्यार की
प्रेमी परिंदों के पर , रुत प्यार की
१
कस लीजिएगा कमर , रहे ना कसर
शुरू कर दीजिए सफर रुत प्यार की
२
पंछियोंं ने भी नीड़ हैं छोड़ दिए
पकड़ लीजिए ये डगर,रुत प्यार की
३
भावनाओं को राह मिल जाएगी
नेह की पड़ी है नजर,रुत प्यार की
४
अरसे से सब जैसे बंधें से हों
खोल दीजिए जंजीर , रुत प्यार की
५
तारीकी के बाँध टूट जाएंगे
प्रयास करो प्रखर , रुत प्यार की
६
सुखविन्द्र भी प्रेम से अछूता नहीं
चाहे कुछ भी हो हसर,रुत प्यार की
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)