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3 Oct 2024 · 1 min read

रुख़ से पर्दा जरा हटा दे अब।

रुख़ से पर्दा जरा हटा दे अब।
मुझको मुझसे जरा मिला दे अब।

ज़ख्म भरने लगे हैं सब मेरे,
भर के मुट्टी नमक लगा दे अब।

आशियां ख़ाक हो रहा मेरा,
यार शोले जरा बुझा दे अब।

उड़ रहे हैं जो आसमानों में,
उनको यारब जमीं दिखा दे अब।

प्यार का ये जहान दुश्मन है,
ख़त वफ़ा के मेरे जला दे अब।

दर्द,धोखा,तड़प,घुटन, हद है.!
अश्क पीना मुझे सिखा दे अब..!

इश्क ज़िंदा रहे हमेशा ही,
क़ायदे फिर नये बना दे अब।

पंकज शर्मा “परिंदा”🕊

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