“रुखसती का इंतजाम कीजिए”
कफन ओढ़ लिया मैंने, मेरी रुखसती का इंतजाम कीजिए
हंस कर कह दीजिये अलविदा, बाद कब्र पर शिकवे शिकायत तमाम कीजिये
मेरी यादों को अपने जहन में जगह दीजिये, यकीन मानिये मुहब्बत दुबारा होगी
फिर खुद को आंसुओं में भिगोइये और एक ऐसी शाम मेरे नाम कीजिये
हंस कर कह दीजिये अलविदा, बाद कब्र पर शिकवे शिकायत तमाम कीजिये
चंद लम्हों की महफ़िलें मुबारक हो तुम्हे, मैं तेरे किस्सों को हकीकत में जुबां दूंगा
मेरी रूह का क़त्ल करके, मेरी आशिकी का इत्माम कीजिये
हंस कर कह दीजिये अलविदा, बाद कब्र पर शिकवे शिकायत तमाम कीजिये
हालात फिर बदल गए तेरे जाने से, जैसे तेरे आने के बाद बदलें थे
इससे पहले के मैं टूट कर बिखर जाऊं, हाथों को बढ़ाइए और मुझे थाम लीजिये
हंस कर कह दीजिये अलविदा, बाद कब्र पर शिकवे शिकायत तमाम कीजिये
मेरी बेचैन रातों का सबब, तेरे गुनाहों में शामिल हैं
खुद को गुनहगार कहकर, कुबूल सारे इल्जाम कीजिये
हंस कर कह दीजिये अलविदा, बाद कब्र पर शिकवे शिकायत तमाम कीजिये
तेरी ख्वाहिशों के महलों की दीवारें, मेरे प्यार की कब्र पर खड़ी हैं
सब्र दीजिये मुझे और ख्वाहिशों को थोड़ा विराम दीजिये
हंस कर कह दीजिये अलविदा, बाद कब्र पर शिकवे शिकायत तमाम कीजिये
हसरतें सभी मुकम्मल कहां होती हैं, जो रह जाये अधूरी वही शख्सियत बयां करती हैं
मुझे डूब कर उभरने का हुनर मालूम हैं, पहले मुहब्बत में किनारों का इंतजाम कीजिये
हंस कर कह दीजिये अलविदा, बाद कब्र पर शिकवे शिकायत तमाम कीजिये
हकीकत में तसव्वुर की जो बातें खूब कहते हैं, वही अक्सर जमाने में बहुत मगरूर रहते हैं
पलट कर आइना हमकों हमारा अक्स देता है, के फिर से शख्सियत पर आप अपनी एहतमाम कीजिये
और हंस कर कह दीजिये अलविदा, बाद कब्र पर शिकवे शिकायत तमाम कीजिये
मेरी मुहब्बतें, मेरी चाहतें, मेरा दीवानापन, सब तेरे लिए था
मुझे बेमुरव्वत जमानें में बेवफा कहकर, न रुसवा सरेआम कीजिये
हंस कर कह दीजिये अलविदा, बाद कब्र पर शिकवे शिकायत तमाम कीजिये
उसे मेरी ख्वाहिश नहीं, मेरी जिंदगी चाहिए, उसने दुआ में मेरी मौत मांगी हैं
ऐ मुहब्बत के खुदा मुझे सुला कर, उसे आराम दीजिये
हंस कर कह दीजिये अलविदा, बाद कब्र पर शिकवे शिकायत तमाम कीजिये
कुमार अखिलेश
देहरादून (उत्तराखण्ड)
मोबाइल नंबर 09627547054