रुक रुक रुक जा री _____ घनाक्षरी
रुक रुक रुक जा री, सूरतिया देखूं थारी।
म्हारी नस नस में तो,तू ही तू समाई है।।
चल बैठ बात करें,दुनियां से कोनी डरे।
तेरे नाम की ही मैने,रटना लगाई है।।
सब कुछ नाम तेरे ,करने की ठान ली है।
दे दूं जान तेरे लिए,सुन ले दुहाई है।।
जाना नहीं छोड़ मुझे, कसम मेरी है तुझे।
जिंदगी है तू ही मेरी,दुनियां पराई है।।
राजेश व्यास अनुनय