रुक जाओ
इस बार खामोशियों से बेहतर है
की कुछ बोल दिया जाये ,
मेरी आँखों को पढ़ने से बेहतर है की
मेरे लफ़्ज़ों का जवाब दे दिया जाये ,
तुम पलटो इससे पहले
मुझे रोक लेने का ऐख़्तियार दे दिया जाये |
द्वारा – नेहा ‘आज़ाद’
इस बार खामोशियों से बेहतर है
की कुछ बोल दिया जाये ,
मेरी आँखों को पढ़ने से बेहतर है की
मेरे लफ़्ज़ों का जवाब दे दिया जाये ,
तुम पलटो इससे पहले
मुझे रोक लेने का ऐख़्तियार दे दिया जाये |
द्वारा – नेहा ‘आज़ाद’