रुक जाओ न
अब नहीं बोलने का दिल करता
तुम बिना बोले ही समझ जाओ ,
अरसा गुज़र गया मुझे बड़-बड़ करते हुए
शब्दों को तो अनदेखा कर दिया
मेरे मौन को ही समझ जाओ ….,
थक गए हैं कदम अब चलते – चलते
आओ न चलें कहीं पीपल की छाँव में बैठ जाएं ,
बहुत सा वक़्त जाया कर दिया तुमने
अतीत और भविष्य की नाप तौल करने में ,
रुक जाओ न
वर्तमान के कुछ लम्हें तो जी लेने दो |
द्वारा – नेहा ‘आज़ाद’