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1 Dec 2022 · 1 min read

रुक्मिणी तुम्हारी

उषा के प्रथम किरण सी रोशनी तुम्हारी
तुम्हें याद है ना रुक्मिणी तुम्हारी

जीवन पथ में तुम्हें बहुत सी रश्मियॉ मिलेंगी
कोमल लताएं मिलेंगी कलियां मिलेंगी
जब परछाई बनेगी तो सिर्फ़ संगिनी तुम्हारी

तुम्हें याद है ना रुक्मिणी तुम्हारी

उसकी आंखों का तुमको दर्पण मिलेगा
एक नदी का सा तुमको समर्पण मिलेगा
प्रेम योग की बनेगी वही योगिनी तुम्हारी

तुम्हें याद है ना रुक्मिणी तुम्हारी

विरह का बीज कभी बोना नही
प्रेम मोती को पाकर खोना नही
रत्न हैं और बहुत पर एक है प्रेममणि तुम्हारी

तुम्हें याद है ना रुक्मिणी तुम्हारी

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