रुक्मिणी तुम्हारी
उषा के प्रथम किरण सी रोशनी तुम्हारी
तुम्हें याद है ना रुक्मिणी तुम्हारी
जीवन पथ में तुम्हें बहुत सी रश्मियॉ मिलेंगी
कोमल लताएं मिलेंगी कलियां मिलेंगी
जब परछाई बनेगी तो सिर्फ़ संगिनी तुम्हारी
तुम्हें याद है ना रुक्मिणी तुम्हारी
उसकी आंखों का तुमको दर्पण मिलेगा
एक नदी का सा तुमको समर्पण मिलेगा
प्रेम योग की बनेगी वही योगिनी तुम्हारी
तुम्हें याद है ना रुक्मिणी तुम्हारी
विरह का बीज कभी बोना नही
प्रेम मोती को पाकर खोना नही
रत्न हैं और बहुत पर एक है प्रेममणि तुम्हारी
तुम्हें याद है ना रुक्मिणी तुम्हारी