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17 Sep 2024 · 1 min read

रुकती है जब कलम मेरी

रुकती है जब कलम मेरी
तो लगने लगता है ऐसा…
मानो, धड़कन मेरी थम सी गई!
ज़िंदगी की रफ़्तार धीमी पड़ गई!
और चलती है जब तेज रफ़्तार ये कलम,
तो सोच सकारात्मक हो उठता है,
जिससे जीवन में खुशहाली आती है।
…. अजित कर्ण ✍️

1 Like · 9 Views
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