रीत की वात अवं किनखs भावज
सादर नमन 🙏💐प्रस्तुत है आज कुछ निमाड़ी पंक्तियाँ |निमाड़ की माटी का लाल होकर निमाड़ी में कुछ ना लिखें ऐसा नहीं हो सकता |
लीजिये निमाड़ी रचना का आनंद और प्रतिक्रिया दीजिये |शीर्षक है “रीत की वात अवं किनखs भावज ”
आवं कुतरा नs जसा भगाड़ज
जल्याँग जावां वल्याँग दगड़ा मारज
पोर्या पारई वात नी करता अवं
डोकरो एकलो गावणा गावज
जींस पेरी न ववड़ी फिरी रईज
गाँव म ओकs लाज नी आवज
डोकरा क टिक्कड़ पूछतो नी कोई
सब मिली सिरो गप गप मचकावज
अवं काई कवाँ ‘राणाजी’ कळजुग म
रीत की वात अव किनखs भावज
©ठाकुर प्रतापसिंह “राणाजी ”
सनावद (मध्यप्रदेश )