Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Dec 2021 · 1 min read

रिहाई

तेरे नक्शे पा पर चलते हुए ,
हम तेरे दर पर आ पहुंचे।
अब चूमकर हमारा जबीं ए खुदा !
जुल्मत जिस्त से रिहा कर हमें।

Language: Hindi
Tag: शेर
487 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from ओनिका सेतिया 'अनु '
View all
You may also like:
होते फलित यदि शाप प्यारे
होते फलित यदि शाप प्यारे
Suryakant Dwivedi
"किसान का दर्द"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
आज का दिन
आज का दिन
Punam Pande
जागो बहन जगा दे देश 🙏
जागो बहन जगा दे देश 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
मेरी जिंदगी में जख्म लिखे हैं बहुत
मेरी जिंदगी में जख्म लिखे हैं बहुत
Dr. Man Mohan Krishna
दो दिन की जिंदगानी रे बन्दे
दो दिन की जिंदगानी रे बन्दे
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
*खिलना सीखो हर समय, जैसे खिले गुलाब (कुंडलिया)*
*खिलना सीखो हर समय, जैसे खिले गुलाब (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
"बेताब"
Dr. Kishan tandon kranti
#शेर-
#शेर-
*प्रणय प्रभात*
फिर वही शाम ए गम,
फिर वही शाम ए गम,
ओनिका सेतिया 'अनु '
आइना देखा तो खुद चकरा गए।
आइना देखा तो खुद चकरा गए।
सत्य कुमार प्रेमी
मित्रता तुम्हारी हमें ,
मित्रता तुम्हारी हमें ,
Yogendra Chaturwedi
2736. *पूर्णिका*
2736. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
THIS IS WHY YOU DON’T SUCCEED:
THIS IS WHY YOU DON’T SUCCEED:
पूर्वार्थ
Three handfuls of rice
Three handfuls of rice
कार्तिक नितिन शर्मा
*जब कभी दिल की ज़मीं पे*
*जब कभी दिल की ज़मीं पे*
Poonam Matia
आँखों के आंसू झूठे है, निश्छल हृदय से नहीं झरते है।
आँखों के आंसू झूठे है, निश्छल हृदय से नहीं झरते है।
Buddha Prakash
वक्त लगता है
वक्त लगता है
Vandna Thakur
जब एक लौ एक उम्मीद जला करती है,
जब एक लौ एक उम्मीद जला करती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
हमारे तो पूजनीय भीमराव है
हमारे तो पूजनीय भीमराव है
gurudeenverma198
तन्हाई बड़ी बातूनी होती है --
तन्हाई बड़ी बातूनी होती है --
Seema Garg
सत्य विवादों से भरा,
सत्य विवादों से भरा,
sushil sarna
योग
योग
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
उसे भूला देना इतना आसान नहीं है
उसे भूला देना इतना आसान नहीं है
Keshav kishor Kumar
क़दर करके क़दर हासिल हुआ करती ज़माने में
क़दर करके क़दर हासिल हुआ करती ज़माने में
आर.एस. 'प्रीतम'
न जाने क्यों ... ... ???
न जाने क्यों ... ... ???
Kanchan Khanna
बाल कविता: तोता
बाल कविता: तोता
Rajesh Kumar Arjun
कहीं पे पहुँचने के लिए,
कहीं पे पहुँचने के लिए,
शेखर सिंह
कोई भी
कोई भी
Dr fauzia Naseem shad
Loading...