रिश्वत
रिश्वत (लघुकथा)
(सात वर्षीय नॉटी मम्मा से)
मम्मा आपको मेरा नाम नॉटी नही रखना चाहिए था। सारा दिन स्कूल में डांट खानी पड़ती है।
मैम कहती है शरारत में ही ध्यान है तुम्हारा पढना लिखना तो है नही तुम्हे। एग्ज़ाम सर पर है कुछ पता है तुम्हे।
साइंस और मैथ तो मुझे बहुत गन्दे लगते है मम्मा ! आप मेरा ट्यूशन ही लगवा दिजिए।
मम्मा-अरे अभी से ट्यूशन थर्ड क्लास में ही हो अभी तुम क्यों करते हो इतनी शरारत बहुत ही शर्म की बात है नॉटी !
(नॉटी अकेले कमरे में) क्या करू मैथ में कुछ समझ भी नही आता। और साइंस में कुछ याद नही होता। अरे वो उस दिन पापा और राकेश अंकल शायद कुछ कह तो रहे थे कि कुछ ले दे के पास कराने की बात (नॉटी चुटकी बजाते हुए)
आइडिया ! ! !
मम्मा-आज मेरे बैग में टिफिन मत रखना प्लीज़ !
मम्मा -क्यों बेटा आज जल्दी छुट्टी होनी है क्या ?
नॉटी-नही मम्मा भूख नही है।
मम्मा-क्या हुआ बेटा ?
एग्ज़ाम की टेंशन मत लेना जैसा भी होगा देखा जाएगा समझे तुम ! खाना लेकर जाना।
नॉटी-नही मम्मा आज बैग में जगह नही है।
मम्मा-अरे ऐसा भी क्या टिफिन के लिए भी जगह नही है। दिखाओ मैं लगाती हूँ तुम्हारा बैग अच्छे से ।
(नॉटी दौडकर आता है बैग उठाते हुए ) नही मम्मा इसे मत खोलो।
मम्मा-क्यों क्या हुआ दिखाओ तो।
(छीनाझपटी में बैग खुल जाता है और उसमे से बहुत सारी चॉकलेट्स टॉफिस निकलकर बिखर जाती है।)
मम्मा-अरे नॉटी तो क्या आज ये खाना था तुम्हे ?
(नॉटी बीच में ही बात काटते हुए)
नही मम्मा वो तो…वो तो…
मम्मा-बोलो वो तो क्या ??
क्या है ये सब नॉटी ???
मम्मा वो तो मैं…
मम्मा वो तो मैथ्स और साइंस के टीचर्स के लिए…
ले जा रहा था। ये लेकर वो मुझे फेल नही करेंगी ना !
(देखो साथियो कही न… कही हमारा आपसी… व्यवहार मासूम बालको को भी प्रभावित करता है।
अब राकेश अंकल ने तो सपने में भी नही सोचा होगा उनकी बातचीत का असर नॉटी के अपरिपक्व व्यक्तित्व पर इस प्रकार असर करेगा।)
सुधा भारद्वाज
विकासनगर उत्तराखण्ड