रिश्वत
बड़ा गज़ब का देखिए, ये रिश्वत का खेल।
लेते हैं रिश्वत मगर, कभी न जाते जेल।१।
घूस मांगते प्यार से, चूसे तन का रक्त।
पर अपने व्यवहार से, बने देश का भक्त। २।
दफ्तर थाने हर जगह, बस पैसे का जोर।
लेते हैं रिश्वत सभी, दोनों हाथ बटोर। ३।
भीख मांगते शान से, अपने दाँत खिसोर।
कहाँ सत्य पहचानते, दिल से बड़े कठोर।५।
उँचे पद पर हैं कईं, बैठे रिश्वतखोर।
देकर मोटी सी रकम, छूट गए हैं चोर।६।
रिश्वत बढ़ती जा रही, चर्चा चारों ओर।
कोतवाल को डाँटता, अब तो उलटा चोर।७।
प्रति दिन बढ़ता जा रहा, रिश्वत का यह रोग।
करें नष्ट जड़ से इसे, हो एसा आयोग।८।
लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली