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21 Sep 2022 · 1 min read

*रिश्वत ( कुंडलिया )*

रिश्वत ( कुंडलिया )
★★★★★★★★★★★★★★★
रिश्वत ऐसी चल रही ,इसके बिना न काम
जैसा जिसका काम है ,वैसा तय है दाम
वैसा तय है दाम ,घूस अफसर को भाती
इसके लिए बगैर ,प्रक्रिया कब बढ़ पाती
कहते रवि कविराय ,देश में फैली है लत
सबसे घातक रोग ,आज का मानो रिश्वत
●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

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