रिश्तों मे बदलाव की बहार -1
हर रिश्ता कुछ कहता है आशुतोष
हर रिश्ते की एक अलग परिभाषा
पर हर रिश्ते मे एक बात समान
छोटो को मान , बड़ो को सम्मान ।।1।।
पर अब ये बात हुई पुरानी
क्योंकि आशुतोष अंग्रजी पढ़ने वाली पीढ़ी हुई सयानी
अब चाहिए छोटो को सम्मान
और बड़ो को देते मान ।।2 ।।
रिश्तों का आज ये जो नया ताना बाना है
किश्तों मे मिलती जो आज खुशियों का खजाना है
वो बस इस बात का है परिणाम
भूल रामचरित मानस को अब बस आधुनिक बन जाना है ।।3।।
बदलाव की बस ये आखिर बहार नही
अभी तो रिश्तों मे किश्तें चलने बाकी हैं
प्रैक्टिकल आज की पीढ़ी मे रिश्तों का होम हवन होना बाकी हैं ।।4।।