रिश्तों में दूरी
आजकल रिश्तों में एक अलग ही दूरी आई हुई है
अंजान से है सब और बेखबरी छाई हुई है
ना कोई किसी को अपनी परेशानी बताता है
ना ही अपनापन जताता है
ना ही सही गलत समझाता है
और ना आगे बढ़ने का रास्ता दिखलाता है।
बस एक दूजे से शिकायत करते है
और रिश्तों को खोने से नहीं डरते है
ना जाने स्वार्थ है या असर है इस दौर का
बस अपने नजरिए से सबको देखते हैं।
उम्मीद है कि सामने वाला हमसे रिश्ता निभाए
हमसे पूछे और हमें सब कुछ बताए
मगर पहल कोई करता नहीं
परेशानी की जानकारी रखता नहीं
अपने सपनों की खातिर बस दौड़ लगी है
एक दूजे से आगे बढ़ने की होड़ लगी है
ना जाने कितना आगे निकल गए दौड़ते दौड़ते
ऐसा लग रहा मानो जैसे आगे कोई मोड नहीं है।
इतना भी मत भागो इस सफ़र में कि खुद को तुम गुमनाम कर दो
दूर हो जाओ सबसे और बाकी बचे रिश्तों को भी बेनाम कर दो।।
वक्त रहते शामिल कर लो वापिस उन पलों को
बस यादों में उनको मत रखो
आवाज दो उन रिश्तों को जिसमें तुम प्रेम के अहसास को चखो
यही जिंदगी की असली कमाई है
रिश्तों में भी पूरी दुनिया समाई है।
रेखा खिंची ✍️ ✍️