Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Mar 2021 · 1 min read

*रिश्तों में दरार*

मन आई खिन्नता
बढ़ती गई भिन्नता
लुप्त हुई प्रसन्नता
रिश्तों में पड़ी दरार||1||

अपने-पराये अनजाने
आने लगे ताने-बाने
देने वाले जाने-माने
रिश्तों में पड़ी दरार||2||

अंतर मतभेद हो
बुद्धि न सचेत हो
अंधानु विभेद हो
रिश्तों में पड़ी दरार||3||

वाहवाही जय जयकार
दुनिया का चमत्कार
थोड़ा आया अहंकार
रिश्तों में पड़ी दरार||4||

बन जाये गुदड़ी लाल
अगर कोई फटेहाल
करले जीवन निहाल
रिश्तों में पड़ी दरार||5||

‘मयंक’ पड़े सब उनके पीछे
ऊपर आए थे जो नीचे
टाँग उनकी सब खींचें
रिश्तों में पड़ी दरार||6||

✍ के.आर.परमाल ‘मयंक’

Language: Hindi
1 Comment · 365 Views

You may also like these posts

कहने को तो सब है अपने ,
कहने को तो सब है अपने ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
कहो उस प्रभात से उद्गम तुम्हारा जिसने रचा
कहो उस प्रभात से उद्गम तुम्हारा जिसने रचा
©️ दामिनी नारायण सिंह
मुझे ज़िंदगी में उन लफ्जों ने मारा जिसमें मैं रत था।
मुझे ज़िंदगी में उन लफ्जों ने मारा जिसमें मैं रत था।
Rj Anand Prajapati
किताब ए दिल
किताब ए दिल
हिमांशु Kulshrestha
खुदा ने इंसान बनाया
खुदा ने इंसान बनाया
shabina. Naaz
इंसानियत का रिश्ता।
इंसानियत का रिश्ता।
अनुराग दीक्षित
सोचते हो ऐसा क्या तुम भी
सोचते हो ऐसा क्या तुम भी
gurudeenverma198
समरथ को नही दोष गोसाई
समरथ को नही दोष गोसाई
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
नदी का किनारा
नदी का किनारा
Ashwani Kumar Jaiswal
*निर्धनता सबसे बड़ा, जग में है अभिशाप( कुंडलिया )*
*निर्धनता सबसे बड़ा, जग में है अभिशाप( कुंडलिया )*
Ravi Prakash
अब क्या किसी से रिश्ता बढ़ाएं   हम।
अब क्या किसी से रिश्ता बढ़ाएं हम।
sushil sarna
" रहस्मयी आत्मा "
Dr Meenu Poonia
कितनी गौर से देखा करते थे जिस चेहरे को,
कितनी गौर से देखा करते थे जिस चेहरे को,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
यक्षिणी-20
यक्षिणी-20
Dr MusafiR BaithA
ना जाने ज़िंदगी में कई दाॅंव - पेंच होते हैं,
ना जाने ज़िंदगी में कई दाॅंव - पेंच होते हैं,
Ajit Kumar "Karn"
रास्तों में फिर वही,
रास्तों में फिर वही,
Vishal Prajapati
कवि और केंकड़ा
कवि और केंकड़ा
guru saxena
मैं उन लोगों से उम्मीद भी नहीं रखता हूं जो केवल मतलब के लिए
मैं उन लोगों से उम्मीद भी नहीं रखता हूं जो केवल मतलब के लिए
Ranjeet kumar patre
हाँ, ये आँखें अब तो सपनों में भी, सपनों से तौबा करती हैं।
हाँ, ये आँखें अब तो सपनों में भी, सपनों से तौबा करती हैं।
Manisha Manjari
*इश्क़ की दुनिया*
*इश्क़ की दुनिया*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
"शोर"
Dr. Kishan tandon kranti
सरल स्वभाव मीठी वाणी
सरल स्वभाव मीठी वाणी
Ritu Asooja
2515.पूर्णिका
2515.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
जब हर एक दिन को शुभ समझोगे
जब हर एक दिन को शुभ समझोगे
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
इंसान फिर भी
इंसान फिर भी
Dr fauzia Naseem shad
--> पुण्य भूमि भारत <--
--> पुण्य भूमि भारत <--
Ankit Halke jha
गुरू नमन
गुरू नमन
Neha
टूटता तारा
टूटता तारा
C S Santoshi
"एक अग्नि की चिंगारी काफी है , जंगल जलाने के लिए l एक बीज का
Neeraj kumar Soni
" बस तुम्हें ही सोचूँ "
Pushpraj Anant
Loading...