रिश्तों पर लगा ग्रहण
✒️?जीवन की पाठशाला ??️
जीवन चक्र के इस सफर में कहीं पढ़ा था की आज के दौर में बिना पैसे के तुम शून्य मात्र हो जाओगे नजरों में ,जहाँ पैसे के साथ मैं से हम -हम से तुम हुए ,वहीँ बिना पैसे के कौन हो तुम -तुमने किया क्या है और अब कोई उम्मीद नहीं है तुमसे /अविश्वास -संशयजनक ,हो जाओगे …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की गुणों के मिलने से ही पति पत्नी एक नहीं हो जाते ,सबसे ज्यादा जरुरी है सोच का मिलना -विचारों की सहमति ,आपसी सामंजस्य और सबसे बड़ी बात विश्वास …
जीवन चक्र के इस सफर में कल एक सपने से गुजरा जहाँ एक अघोरी से दिखने वाले व्यक्ति ने मुझे छुआ और कहा की अजीब सा दौर चल रहा है ,ये अभी देखा की लाशें भी सांस लेती हैं …,
आखिर में एक ही बात समझ आई की सूरज की चलती गति में जिस प्रकार बीच में आ जाने से ग्रहण लग जाता है ठीक उसी प्रकार किसी व्यक्ति के वक़्त के विपरीत होने पर उसके रिश्तों पर ग्रहण लग जाता है ,सूर्यग्रहण तो समाप्त हो जाता है पर रिश्तों पर लगा ग्रहण …?
बाक़ी कल , अपनी दुआओं में याद रखियेगा ?सावधान रहिये-सुरक्षित रहिये ,अपना और अपनों का ध्यान रखिये ,संकट अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क ? है जरुरी …!?सुप्रभात?
?? विकास शर्मा “शिवाया”?
???
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