रिश्तों को लेकर सवाल
आलेख
रिश्तों को लेकर सवाल
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ये सवाल कोई नया नहीं है। आदि काल से ही रिश्तों को लेकर सवाल उठते रहे हैं, फिर आज कलयुग मेंं ये कोई आश्चर्य की बात तो नहीं है।
आज बढ़ते तकनीक के युग मेंं रिश्तों के बहुत से रुप देखने को मिल जाते हैं। खून के रिश्तों के अलावा भावनात्मक और मुँहबोले रिश्ते तो बहुत पहले से थे। लेकिन अब तकनीकी रिश्ते भी प्रभावी हो रहे हैं।
लेकिन रिश्ते और सवाल आज भी पहले जैसे ही हैं। पहले भी रिश्तों पर सवाल तो उठते ही रहे हैं, पर बहुत कम,यदा कदा।अन्यथा रिश्तों की मर्यादा का बड़ा मान होता था। जान की बाजी तक लगा दी जाती रही है। अविश्वास या धोखा बहुत बहुत कम सुनने में आता रहा।
मगर आज जैसे आधुनिकता का रंग चढ़ता जा रहा है, रिश्तों का रंग ढंग भी बदल सा गया है। ऊपर से आभासी दुनिया ने इसमें पूरा दखल भी दिया है। आज भी खून, मानवीय, आभासी दुनिया के रिश्तों/ मुँहबोले रिश्तों में भी वह मान सम्मान अपनापन और विश्वास होने के बाद भी कुछ लोगों की हरकतों से सभी को एक तराजू में तौलने की कोशिशें हो रही हैं। जिससे डर का सा माहौल बन रहा है। बहुत बार मुँहबोले रिश्ते खून के रिश्तों से भी ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं। दोस्त, भाई, बहन और विभिन्न रिश्तों में अपने पराए का भेद नहीं हो पाता। फिर भी रिश्तों पर सवाल उठाए जाते हैं और आगे भी उठाए जाते रहेंगे।
मगर जिनके मन में पवित्र भावना होती है, वे अपना दायित्व, कर्तव्य का मर्यादित ढंग से पालन करते ही रहते हैं।
क्योंकि समाज की रीति ही है उंगलियां उठाने की। आप अच्छा कीजिए या खराब। सबको संतुष्ट करना आप या किसी के वश की बात नहीं है। यहां तक कि ईश्वर भी सबको संतुष्ट नहीं कर सकता।
सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा, उ.प्र.
8115285921
©मौलिक, स्वरचित