– रिश्तों को में तोड़ चला –
– रिश्तों को में तोड़ चला-
अपनो को में छोड़ चला,
रिश्तों को में तोड़ चला, रिश्तों का यह भवरजाल,
जिसमे है स्वार्थ भरा पड़ा,
उस भवरजाल को छोड़ चला,
उम्मीद और आशाओं का मायाजाल ,
विश्वास में अविश्वास मिला ,
तब में अपनो का आंगन छोड़ चला,
रिश्तों से यू मुख मोड़ चला,
अपनो को में छोड़ चला,
रिश्तों को में तोड़ चला,
भरत गहलोत
जालोर राजस्थान
संपर्क -7742016184-