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9 May 2018 · 1 min read

रिश्तों की मंडियां

रोज रिश्तों की सजती यहाँ मंडियाँ
खूब लगती रही है यहाँ बोलियाँ

मोल देकर मिलेगी पिता को खुशी
गर न तो जिन्दगी भरभरे सिसकियाँ

बेटियाँ है सुकोमल सुचंचल कली
मत लगाओं कभी इन पे पाबन्दियाँ

दौर हैवानियत का चलेगा सदा
पर पहन बैठ पाये न चूडिय़ां

मान सम्मान का रख रही वो ख्याल
दो कुलों में करे रोशनी बैटियाँ

Language: Hindi
75 Likes · 1 Comment · 354 Views
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