Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Aug 2021 · 2 min read

रिश्तों की डोर

सत्य पर आधारित कहानी
रिश्तों की डोर
************
जीवन में कुछ रिश्ते अनायास ही जुड़ जाते हैं ।ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी हुआ। समान कार्य क्षेत्र के अनेक आभासी दुनियां के लोगों से संपर्क होता रहता है।जिनमें कुछ ऐसे भी होते हैं जो वास्तविक रिश्तों के अहसास से कम नहीं है। मेरे वर्तमान जीवन में इनकी संख्या भी काफी है, जो देश के विभिन्न प्राँतों से हैं।
एक दिन की बात है कि आभासी दुनिया की मेरी एक बहन का फोन आया, उसकी बातचीत में एक अजीब सी भावुकता और व्याकुलता थी। बहुत पूछने पर उसनें अपने मन की दुविधा बयान करते हुए कहा कि मैं समझती थी कि आप सिर्फ़ मेरे भैया है, मगर आप तो बहुत सारी बहनों/भाइयों के भी भैया हैं।
तो मैंने कहा इसमें समस्या क्या है?
उसने लगभग बीच में ही मेरी बात काटते हुए कुछ यूँ बोली ,जैसे उसे डर सा महसूस हुआ कि कहीं मै नाराज न हो जाऊं-नहीं भैया समस्या तो कुछ नहीं है,मगर मैं तो सबसे छोटी हूँ, इसीलिए डरती हूँ।
मैंने उसे समझाया-डरो मत, तुम छोटी हो,तो सबसे ज्यादा लाड़ली भी हो,फिर तुम्हें खुश होना चाहिए कि तुम्हें इतनी सारी बहनों/भाइयों का मार्गदर्शन और सहयोग मिलेगा। फिर मेरा प्यार, दुलार कभी कम ज्यादा नहीं होगा। तुम्हारे अधिकार हमेशा सुरक्षित रहेंगें।
सच भी है वो मेरे लिए एकदम छोटी बच्ची सरीखी है।ये अलग बात है कि शादीशुदा है,एक बच्चे की माँ है।उसके ससुराल में भी लोग मेरे बारे में जानते हैं।
अब यह ईश्वर की लीला ही तो है कि हमनें एक दूसरे को देखा नहीं, कुछ महीनों पहले एक दूसरे का नाम तक नहीं जानते थे। लेकिन आज उसे उचित सलाह और मार्गदर्शन देकर खुशी होती है,ऐसा लगता है कि ये मेरी जिम्मेदारी है।जिसको मजबूत करती है उसके क्रियाकलाप। अपनी हर छोटी बड़ी बात बताती, पूछती है, हर नये काम से पहले आशीर्वाद लेने के लिए फोन करती है। यही नहीं बहन की तरह जिद भी करती है तो भाई की चिंता परेशान भी रहती है। ऐसा लगता है कितना कुछ जानती है इस अनदेखे भाई के बारे में।
अब इसे समय का तकाजा कहें या उसकी किस्मत कि मेरे संपर्क में आने और मेरे मार्गदर्शन से उसकी स्वीकार्यता और प्रकाश तेजी से बढ़ने लगा। जिसका श्रेय वह ही नहीं उसका परिवार भी मुझे ही देता है।जबकि मैं जानता हूँ कि ये सब उसके श्रम का परिणाम है।
अब तो ईश्वर से यही प्रार्थना है कि इस रिश्ते की डोर यूँ मजबूत होती रहे और मुझे इतनी आत्मशक्ति दे कि मैं अपनी नन्ही सी लाड़ली बहन को ऊँचाइयों तक पहुंचा सकूँ।
वास्तविकता यह है कि मेरे पास समय कम है और अनेकों आभासी रिश्तों (कुछ उम्र में काफी बड़े अभिभावक सरीखे तो बहुत से छोटे बड़े भाई बहन भी हैं ) की उम्मीदों का केंद्र बिंदु भी मैं ही हूँ लोगों की अपेक्षाएं बहुत हैं। जिसे जाने अनजाने मैंनें ओढ़ रखा है और अब उन अपेक्षाओं को पूरा करना ही मेरा लक्ष्य है। जिसके लिए कोई अदृश्य शक्ति मुझे प्रेरित करती रहती है।
✍ सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा, उ.प्र.
8115285921
©मौलिक, स्वरचित
17/18.08.2021

Language: Hindi
1 Like · 983 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
भोग कामना - अंतहीन एषणा
भोग कामना - अंतहीन एषणा
Atul "Krishn"
#drarunkumarshastri
#drarunkumarshastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मत छेड़ हमें देशभक्ति में हम डूबे है।
मत छेड़ हमें देशभक्ति में हम डूबे है।
Rj Anand Prajapati
जिंदगी का सवेरा
जिंदगी का सवेरा
Dr. Man Mohan Krishna
वापस
वापस
Harish Srivastava
वाल्मीकि रामायण, किष्किन्धा काण्ड, द्वितीय सर्ग में राम द्वा
वाल्मीकि रामायण, किष्किन्धा काण्ड, द्वितीय सर्ग में राम द्वा
Rohit Kumar
तुम्हें बुरी लगती हैं मेरी बातें, मेरा हर सवाल,
तुम्हें बुरी लगती हैं मेरी बातें, मेरा हर सवाल,
पूर्वार्थ
💐प्रेम कौतुक-259💐
💐प्रेम कौतुक-259💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
बहुत याद आती है
बहुत याद आती है
नन्दलाल सुथार "राही"
قفس میں جان جائے گی ہماری
قفس میں جان جائے گی ہماری
Simmy Hasan
राष्ट्रभाषा
राष्ट्रभाषा
Prakash Chandra
डॉ. जसवंतसिंह जनमेजय का प्रतिक्रिया पत्र लेखन कार्य अभूतपूर्व है
डॉ. जसवंतसिंह जनमेजय का प्रतिक्रिया पत्र लेखन कार्य अभूतपूर्व है
आर एस आघात
बेकसूरों को ही, क्यों मिलती सजा है
बेकसूरों को ही, क्यों मिलती सजा है
gurudeenverma198
नव प्रबुद्ध भारती
नव प्रबुद्ध भारती
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
Ghazal
Ghazal
shahab uddin shah kannauji
लंगोटिया यारी
लंगोटिया यारी
Sandeep Pande
अचानक जब कभी मुझको हाँ तेरी याद आती है
अचानक जब कभी मुझको हाँ तेरी याद आती है
Johnny Ahmed 'क़ैस'
सपने
सपने
Divya kumari
कौन किसकी कहानी सुनाता है
कौन किसकी कहानी सुनाता है
Manoj Mahato
बार -बार दिल हुस्न की ,
बार -बार दिल हुस्न की ,
sushil sarna
ज़िंदगी कब उदास करती है
ज़िंदगी कब उदास करती है
Dr fauzia Naseem shad
ऐ सुनो
ऐ सुनो
Anand Kumar
सेल्फी या सेल्फिश
सेल्फी या सेल्फिश
Dr. Pradeep Kumar Sharma
गांधी और गोडसे में तुम लोग किसे चुनोगे?
गांधी और गोडसे में तुम लोग किसे चुनोगे?
Shekhar Chandra Mitra
■ इनका इलाज ऊपर वाले के पास हो तो हो। नीचे तो है नहीं।।
■ इनका इलाज ऊपर वाले के पास हो तो हो। नीचे तो है नहीं।।
*Author प्रणय प्रभात*
वो लुका-छिपी वो दहकता प्यार—
वो लुका-छिपी वो दहकता प्यार—
Shreedhar
नरम दिली बनाम कठोरता
नरम दिली बनाम कठोरता
Karishma Shah
अक्सर यूं कहते हैं लोग
अक्सर यूं कहते हैं लोग
Harminder Kaur
*इस वसंत में मौन तोड़कर, आओ मन से गीत लिखें (गीत)*
*इस वसंत में मौन तोड़कर, आओ मन से गीत लिखें (गीत)*
Ravi Prakash
"नवसंवत्सर सबको शुभ हो..!"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
Loading...