Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Jul 2023 · 2 min read

रिश्तों का पेड़

इंसान एक जटिल प्राणी है। और उतना ही जटिल है उसका जीवन, क्यूंकि इंसान का जीवन एक शब्द पर अतिनिर्भर है, और वह शब्द है रिश्ते।
रिश्तों को समझना जितना मुश्किल है उतना ही मुश्किल है उनको निभाना। रिश्ते जितने नज़दीकी होते हैं उनको निभाने के लिए प्रयास भी उतने ही अधिक करने पड़ते हैं। परन्तु उन प्रयासों को हम खुशी खुशी करते हैं क्यूंकि नज़दीकी लोगों का महत्व ही जीवन में सबसे अधिक होता है।
कई बार इंसान गलतियां करता है । और रिश्ते टूटने की कगार पर आ जाते हैं। गलती कितनी बड़ी है, सामने वाला कितना उदार है, इसपर निर्भर करता है कि उस रिश्ते का भविष्य कैसा होगा।
परन्तु उदारता की भी एक सीमा होती है। अगर उदाहरण के तौर पर बोलूं तो रिश्ता एक पेड़ की तरह है।
प्रेम इस पेड़ के फल हैं , फल हैं तो पेड़ सुंदरता और मिठास से भरा होगा। परन्तु अगर फल टूट जाएं फिर भी पेड़ मजबूती से खड़ा रह सकता है और स्तिथि अनुकूल होने पर दोबारा से फल आ सकते हैं।
विश्वास इस पेड़ की शाखा की तरह है, अगर शाखा टूट जाए तो बड़ी हानि होती है, फल भी नहीं रहते, परन्तु अभी भी पेड़ मजबूती से खड़ा रह सकता है और समय के साथ नई शाखा आ सकती है जिसपर फिर से फल भी लग सकते हैं।
हमारे जीवन से जुड़े लोग इस पेड़ पर रहने वाले जंतुओं कि तरह हैं। हमारे प्रियजन वो भंवरे हैं जो दूसरे पेड़ो के सकारात्मक बीज हम तक लाते हैं और पेड़ को बढ़ने में मदद करते है।
हमारे दुश्मन दीमक की तरह हैं जो पेड़ को अंदर से खा कर उसको सड़ने की कगार पर ले आते हैं और हमारे दोस्त वो पक्षी हैं जो इन दीमकों को चुन चुन कर खा जाते हैं और पेड़ बच जाता है।
यह पेड़ बड़े से बड़े तूफान झेल लेता है और फिर से हरा भरा हो जाता है परन्तु अगर इसकी जड़ ही नष्ट हो जाए तो इसका सूखना तय है, और इस पेड़ की जड़ है सम्मान , अगर जड़ ही ना हो तो शाखा और फल की कल्पना भी नहीं हो सकती। बिना जड़ के पेड़ का जीवन संभव नहीं।
इसलिए हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि हम हर रिश्ते का सम्मान बनाए रखें और किसी के आत्मसम्मान को ठेस ना पहुंचाएं। क्यूंकि फिर हरे भरे पेड़ की जगह जो बचेगा वो होंगे सूखे पत्ते और सूखी लकड़ियों के गट्ठर।

1 Like · 404 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
समय ⏳🕛⏱️
समय ⏳🕛⏱️
डॉ० रोहित कौशिक
बहुतेरे हैं प्रश्न पर,
बहुतेरे हैं प्रश्न पर,
sushil sarna
इस दिवाली …
इस दिवाली …
Rekha Drolia
छूटा उसका हाथ
छूटा उसका हाथ
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
* किसे बताएं *
* किसे बताएं *
surenderpal vaidya
दीवाली
दीवाली
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
गर जानना चाहते हो
गर जानना चाहते हो
SATPAL CHAUHAN
फ़िल्मी धुनों पर बने भजनों से लाख दर्ज़े बेहतर हैं वो फ़िल्मी ग
फ़िल्मी धुनों पर बने भजनों से लाख दर्ज़े बेहतर हैं वो फ़िल्मी ग
*प्रणय*
*प्रेम का सिखला रहा, मधु पाठ आज वसंत है(गीत)*
*प्रेम का सिखला रहा, मधु पाठ आज वसंत है(गीत)*
Ravi Prakash
🪔🪔दीपमालिका सजाओ तुम।
🪔🪔दीपमालिका सजाओ तुम।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
हम प्यार तुमसे कर सकते नहीं
हम प्यार तुमसे कर सकते नहीं
gurudeenverma198
मेरा भारत जिंदाबाद
मेरा भारत जिंदाबाद
Satish Srijan
दिन और रात-दो चरित्र
दिन और रात-दो चरित्र
Suryakant Dwivedi
रोम-रोम में राम....
रोम-रोम में राम....
डॉ.सीमा अग्रवाल
कब तक यूँ आजमाएंगे हमसे कहो हुजूर
कब तक यूँ आजमाएंगे हमसे कहो हुजूर
VINOD CHAUHAN
ਉਸਦੀ ਮਿਹਨਤ
ਉਸਦੀ ਮਿਹਨਤ
विनोद सिल्ला
"फिर बच्चा बन जाऊँ"
Dr. Kishan tandon kranti
पूरी ज़वानी संघर्षों में ही गुजार दी मैंने,
पूरी ज़वानी संघर्षों में ही गुजार दी मैंने,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
शु'आ - ए- उम्मीद
शु'आ - ए- उम्मीद
Shyam Sundar Subramanian
साहित्य चेतना मंच की मुहीम घर-घर ओमप्रकाश वाल्मीकि
साहित्य चेतना मंच की मुहीम घर-घर ओमप्रकाश वाल्मीकि
Dr. Narendra Valmiki
औरत की अभिलाषा
औरत की अभिलाषा
Rachana
मेरे ख्वाब ।
मेरे ख्वाब ।
Sonit Parjapati
राग द्वेश से दूर हों तन - मन रहे विशुद्ध।
राग द्वेश से दूर हों तन - मन रहे विशुद्ध।
सत्य कुमार प्रेमी
कल की तलाश में आज निकल गया
कल की तलाश में आज निकल गया
नूरफातिमा खातून नूरी
24/233. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/233. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सुन्दरता की कमी को अच्छा स्वभाव पूरा कर सकता है,
सुन्दरता की कमी को अच्छा स्वभाव पूरा कर सकता है,
शेखर सिंह
पेड़ पौधे और खुशहाली
पेड़ पौधे और खुशहाली
Mahender Singh
जो गूंजती थी हर पल कानों में, आवाजें वो अब आती नहीं,
जो गूंजती थी हर पल कानों में, आवाजें वो अब आती नहीं,
Manisha Manjari
जब मुझको कुछ कहना होता अंतर्मन से कह लेती हूं ,
जब मुझको कुछ कहना होता अंतर्मन से कह लेती हूं ,
Anamika Tiwari 'annpurna '
मुस्कुराहट से बड़ी कोई भी चेहरे की सौंदर्यता नही।
मुस्कुराहट से बड़ी कोई भी चेहरे की सौंदर्यता नही।
Rj Anand Prajapati
Loading...