रिश्तों का आईना
रिश्तों का आईना
मुझसे जो प्यार करेगा, मैं उसको आसमान दूंगा,मेरे दिल के हर कोने में, उसका नाम दूंगा।
जो मुझसे दो कदम फासले रखेगा,मैं उससे दस कदम फासले करके दिखाऊंगा।।
मुझसे जैसा लहजा रखेगा, वैसा ही जवाब पाओगे,इज्जत के तराजू में हर बात को तौलते जाओगे।
रिश्ते में इज्जत ही रवानी है,वरना किसी का कर्ज मैं कभी निभाने वाला नहीं।।
दिल की हर बात खुले तौर पर कह दूं,झूठ और फरेब से मैं परे रहूं।
जो सच्चाई से नाता जोड़ेगा,
उसे मैं अपनी दुनिया से जोड़ लूंगा।प्यार और इज्जत की डोर है मजबूत,
इससे रिश्तों की डगमगाहट हो जाएगी खत्म।
जो इस डोर को थामेगा,उसके लिए मैं सदा खड़ा रहूंगा।।
मुझसे जैसा रिश्ता रखोगे, वैसा ही रिश्ता पाओगे,हर कदम पर सच्चाई और इज्जत का दामन थामे रहोगे।
वरना किसी को अपना बनाना,मेरा मकसद नहीं, और न ही कोई करम।