रिश्ते
रिश्ते जीयो गम पियो, कम खाओ गम खाओ।
सत्य प्रेम करुणा से, अंदर का अहम खाओ।।
रिश्ते नहीं खुद को संभालो, रिश्ते खुद सम्हल जायेंगे।
खुल के रोओ और हंसो, देखना लोग भी बहल जायेंगे।।
चोरी और झूठ दोनों है दुश्मन, तुम इनसे दूर रहो।
साथ यदि खुशियां बांटी हैं, तो साथ गम भी सहो।।
माफ करना सीख लो, सीख लो कुछ भूल जाना।
समझ लो बस खेल है, सब रिश्ते का ये तानाबाना।।
ना बने यदि बात तो, तुम कर लो खुद को दूर इतना।
हो संभव मिलन “संजय”, जा सको तुम दूर जितना।।
जय हिंद