रिश्ते
रिश्ते
रिश्ते कितने अजीब होते हैं,कभी गम में तो कभी खुशी में,
कभी साथ होते हैं तो कभी दूर,कभी प्रेम में तो कभी दोस्ती में।
रिश्तें होते हैं विश्वास के,एक-दूसरे पर भरोसा के,
एक-दूसरे की मदद के,एक-दूसरे के सुख-दुःख के।
लेकिन आजकल के ज़माने में,रिश्ते नहीं बनते हैं,
सबका सब चलता है,कोई रिश्तों को नहीं समझता।
अब इंसान खुद में इतना व्यस्त है,कि रिश्तों के लिए समय नहीं है,
अपने लिए भी समय नहीं है,तो दूसरों के लिए कैसे होगा?
किसी से उम्मीद रखें तो उतनी ही रखें,जितना वो निभाता दिखे,
ज्यादा उम्मीद रखेंगे तो तकलीफ होगी,और सामने वाले को फर्क नहीं पड़ेगा