रिश्ते
रिश्ते
रिश्तों की परिभाषा बदल रही है
रिश्ते पहले रिसते थे एक दूजे के लिए
रिश्तो में रसक थी ,रिश्तो में गसक थी रिश्तो में ठसक थी
बताने के लिए हम रिसते है रिश्तो के लिए
रिसना था संवेदनाओ का ,
रिसना था मानवीयता का ,रिसना था विश्वास का .
रिश्ते अटूट हो जाने के लिए जुड़ते थे
आज रिश्ते रिसते नहीं घिसते जा रहे है घायल और पंगु है
विश्वास का गला घोंटते ,रिश्ते कलंकित है ,शर्मसार है