#अनमोल रिश्ते#
रिश्तों के ताने- बाने में ,
कुछ इस तरह से उलझे हम।
जो रिश्ते खास थे जीवन में,
उनसे ही दूर हो गए हम।
रिश्तों के ताने-बाने में …….
जिस मां ने हमको जन्म दिया,
उसकी ममता को भूल गए ।
जिन पिता ने चलना सिखाया था,
हम उनके प्यार को भूल गए ।
रिश्तों के ताने – बाने में……
हममें उनकी जां बसती थी,
हम उनके आंख के तारे थे।
उनकी दुनिया हम बच्चे थे ,
वो कहते हुए न थकते थे।
हमसे रौशन उनका आंगन,
हम उनके घर का उजियारा थे।
रिश्तों के ताने – बाने में….…
हम सबकी खुशियों के खातिर,
अपने अरमानों को छोड़ा ।
दुनियादारी में हम यूं उलझे,
जन्म देने वालों को ही भूल गए ।
रिश्तों के ताने- बाने में……….
बचपन में जिन से झगड़ते थे,
बिना लड़े नहीं रह सकते थे।
डांट पड़े गर एक को तो,
सब साथ में मिलकर रोते थे।
वक्त का फेर जरा देखो,
बस राखी और दूज में मिलते हैं।
रिश्तों के ताने- बाने में………….
मासी की लोरी सुन सोए,
बुआ के साथ खेलते थे।
बाबा- दादी , नाना- नानी से,
बे झिझक से चीज मांगते थे।
कितने सुन्दर वो पल थे,
न जाने कहां वो चले गए ।
रिश्ते के ताने-बाने में………………….
ताऊ के कहने से पहले ही,
ताई हमें खाना खिलाती थीं।
चाचा के संग मेला जाना,
चाची सामान दिलाती थीं।
कितने प्यारे वो रिश्ते थे,
सब के सब पीछे छूट गए
रिश्तों के ताने-बाने में……………
रूबी चेतन शुक्ला
अलीगंज
लखनऊ