“रिश्ते”
🌹”रिश्ते” 🌹
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“ये रिश्ते” आज अपनी अहमियत खो बैठे !
वो तो बस निजी स्वार्थ तक ही सिमट बैठे !
रिश्तों में जो गर्माहट होती थी कुछ पहले…
आज की तिथि में वो पूर्ण उदासीन हो बैठे!!
सदाचार, संस्कार का क्षय अनवरत जारी…
धीरे – धीरे हो रहे रिश्तेदार कुछ अत्याचारी !
उन्हें कोई मतलब नहीं ये रिश्ते बचे या मिटे,
बस, खुद टिकना है उन्हें रेस में लंबी पारी!!
रिश्ते जाए भाड़ में बर्ताव उनके कड़े-कड़े !
पर बच जाए चंद काग़ज़ के टुकड़े हरे-हरे !
जो कुछ हो बस, अपनी सांसें चलती रहे…
औरों को जहन्नुम पहुॅंचाने को वे खड़े-खड़े!!
खुद को न पहचान पाए वो रिश्ते क्या जानें ?
रिश्तेदारों के साथ करते रहे वे खूब मनमाने !
झेल रहे आज हम इन रिश्तों के झूठे बहाने !
पता नहीं बेईमान रिश्ते चलेंगे कितने ज़माने!!
© अजित कुमार “कर्ण” ✍️
~ किशनगंज ( बिहार )
@सर्वाधिकार सुरक्षित ।
( #स्वरचित_एवं_मौलिक )
दिनांक :- 26 / 06 / 2022.
प्रेषित :- 08 / 07 / 2022.
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