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20 Sep 2024 · 1 min read

रिश्ते

हमारा रोज़ का मामूल है,
सोने से पहले
बातें करने और झगड़ने का
गिले-शिकवे कि जिन में अगली पिछली
सारी बातें याद कर के रोते-धोते
कभी हँसते भी हैं
खुश होते कुछ लम्हों में
ज़रा सी देर में झगड़ा
और ज़रा सी देर में सुलहनामा

कभी संग खुश होना,
तो कभी आँसू बहाना , कभी मिलकर एक-दूसरे के साथ खिलखिलाना

यूँही बातें करते ख़्वाबों में खो जाना , और सो जाना!

गुज़िश्ता(बीती) शब भी
कुछ ऐसी ही हालत थी

सोने से पहले वो थोड़ा
ख़ुद पे खिसियाया
मगर अगले ही पल
फिर मेरे संग मुस्कुराया

कहा ठीक हूँ मैं
तुम सुकून से सो जाओ

मगर शब भर मैं जागती रही
मैं आधी यहाँ और आधी वहाँ रही
मैं खुद में हूँ ही नहीं
अधूरी हूँ अगर तू नहीं

तुम्हारी फ़िक्र में जैसे
पागल सी हूं मैं

कोई मुझे ज़हनी मरीज़
समझ के शिफ़ा-ख़ाने में ना भेजें

कि मैं पागल नहीं हूँ
मैं प्रेम दिवानी हूँ
वो मेरे बिन अधूरा
मैं उसके बिन अधूरी हूँ

वो मेरा आधा हिस्सा है
वो मेरा दूसरा मैं है
मुझमें मैं कहाँ है
मुझमें तो वो ही वो है

मुझमें मैं कहीं गुम हो गई हूँ
मैं…. मैं नहीं तुम हो गई हूँ 💞
_____________________

Language: Hindi
36 Views

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