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30 May 2024 · 1 min read

“” *रिश्ते* “”

“” रिश्ते “”
********

(1)” रि “, रिमझिम
मधुरसा चलें प्रेम बरसाए
तो, बनें रहेंगे यहाँ पे सदैव रिश्ते !
और कभी ना शिकवा शिकायत करें.,
तो, खिल उठेंगे पड़े सभी सुप्त रिश्ते !!

(2)” श् “, श्वाशें
चलती रहेंगी जब तक
तब तक होंगे निभाने यहाँ पर रिश्ते !
और रिश्तों में बनी रहेगी गर्माहट सदैव….,
जहाँ प्रेम प्यार सद्भाव से जाएं ये सींचे !!

(3)” ते “, तेरा
मेरा जो चले छोड़ते
सदैव वहीं पर ये रिश्ते हैं टिकते !
कभी बनना पड़े यहाँ बहरा अंधा गूंगा..,
तभी, यहाँ पे रिश्ते पलते फूलते महकते !!

(4)” रिश्ते “, रिश्ते
मात्र नहीं होते खून के
ये बनते चलते जीवनयात्रा के साथ !
चलें सदा इन्हें देते सम्मान जीवनभर….,
तो रहेगा हमारे ऊपर अपनोंका हाथ !!

¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥

सुनीलानंद
मंगलवार,
30 मई, 2024
जयपुर
राजस्थान |

Language: Hindi
101 Views
Books from सुनीलानंद महंत
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