रिश्ते सम्भालन् राखियो, रिश्तें काँची डोर समान।
दोस्ती को परखे, अपने प्यार को समजे।
खेल है जिवन, पहले हर दाव को समजे।।
रिश्ते सम्भालन् राखियो, रिश्तें काँची डोर समान।
अनिल कटी पंतग ना मिले, चाहे खोज जग तमाम।।
लड्डु शादी का खायके, स्वामी कैसे खुशी बनाये।
दो बाटन के बीच मे, पति बन गेहूँ सा पीसा जाये।।
बिन शादी के रह कर, संत-फकीरा कहा सुखी हो पायें।
छनी मे पानी रुकत् तो, दुनियाँ के ताने- बाने रुक पायें।।
बेटी परायो धन बताये, पिहर सु ससुराल मे पति थम्माये।
फूल दो बागन के बिच मे, पत्नी बन पत्ती-पत्ती बिखर जाये।।
सुखी को खोजन में जग गुमया, इस जग मे अनिल सुखी मिला नहीं पायें।
फूल प्रभु के चरण मिले भवरे का जुटा बताये, संतोष मन ही सुखी हो पायें।।