रिश्ते भूल गये
रिश्ते भूल गये
जीवन की आपधापी मे हम रिश्ते सारे भूल गये ।
नाना नानी मामा मामी मौसी मौसा ये सब कहने को रह गये ।।
बाबा दादी बुआ फूफा काका काकी जीजा दीदी ।
कहा गये ये रिश्ते सारे केवल कहने को रह गये ।।
जीवन……..
इन सब प्यारे रिश्तों से घर बार भरे सब रहते थे ।
अब इन सबके ना आने से घर खाली खाली रहते हैं ।।
आभासी दुनिया के रिश्तों मे भाई भाई कहते गये ।
लेकिन अपने सगे भाई को हम सब देखो भूल गये ।।
आभासी दुनिया के रिश्ते आये और क्षण मे चले गये ।
बन कर आये वो लड़की बाद मे वो लड़के निकल गये ।।
हमने बहुत उमंग से उसके साथ करी मित्रता ।
हमने जब उससे करी मित्रता बाद मे उससे ठगे गये ।।
अपने निज सुख की खातिर रिश्तों की मर्यादा भूल गये ।
बूढ़े माता पिता हुए तो उनको बृद्धधा आश्रम छोड़ गये ।।
देखो आज दुखी है हम इन सारी बातों को सोच रहे ।
अब दुनिया का है सत्य यही कवि बतलाय गये