रिश्ते फरिश्तों से
रिश्ते फरिश्तों से :
एक बार हम भी
फ़रिश्ते बन जायें,
दिलों के,
प्यार के ,
इबादत और
शुक्रगुजारी के ,
कहीं तंग दिली न हो ,
दूरियाँ न हों,
सिर्फ़ इंसानियत की
डोरियाँ हो ,
कभी न टूटने वाली
जहाँ मन से मन
यूँ मिलें
जैसे क्षितिज में मिलें
धरती आकाश ,
मत भेद भले हों ,
मन भेद न हों
आत्मा परमात्मा
एक हैं तो
भेद न हों ,
न मत भेद ,
न मन भेद ।
डॉ करुणा भल्ला