रिश्ते निभाए तूने दिल-ओ-जान से
रिश्ते निभाए तूने दिल-ओ-जान से
वही छोड़ चल बसे तुझे इस जहाँ से
कल तक मजबूत नींव थी जिस इमारत की
नींव ही नेस्तनाबूद कर गए इस मकाँ से
रिश्ते निभाना तूने सीखा ही नही इस दुनिया में
सीखा गए वो दुनियादारी अपनी ही दुकाँ से
बढाने थे पग आगे मंज़िल की ओर
मंज़िल को ही हटा गए इस दिशा से
भूपेंद्र रावत
22।05।2020