रिश्ते ज़ज़बत से नहीं,हैसियत से चलते हैं।
रिश्ते ज़ज़बत से नहीं,हैसियत से चलते हैं।
जिसकी हैसियत नहीं,उसके रिश्ते नहीं है॥
हो अगर हैसियत तो,रिश्ते अनेक होते हैं।
ये अर्थ, पैसे का युग है,गर पैसा नहीं तो फिर,
तेरा कोई सगा नहीं है
रिश्ते ज़ज़बत से नहीं,हैसियत से चलते हैं।
जिसकी हैसियत नहीं,उसके रिश्ते नहीं है॥
हो अगर हैसियत तो,रिश्ते अनेक होते हैं।
ये अर्थ, पैसे का युग है,गर पैसा नहीं तो फिर,
तेरा कोई सगा नहीं है