रिश्ते (एक अहसास)
कितने खेल दिखाएं रिश्ते।
कुछ अटके कुछ भूले भटके।।
अनसुलझे कुछ सुलझे रिश्ते।
बिखरे तो आंखों को बरसाएं।
सुलझे तो मन को हरसाएं।।
शंका से दिल टूटा करता।
विश्वास उन्हें है जोड़े रखता।।
बनते रोज बिगड़ते रिश्ते।
कितने खेल दिखाएं रिश्ते।
कुछ अटके कुछ भूले भटके।।
अनसुलझे कुछ सुलझे रिश्ते।
बिखरे तो आंखों को बरसाएं।
सुलझे तो मन को हरसाएं।।
शंका से दिल टूटा करता।
विश्वास उन्हें है जोड़े रखता।।
बनते रोज बिगड़ते रिश्ते।