रिश्ते अब रास्तों पर
रिश्ते अब रास्तों पर
नीलाम होते हैं
वफ़ा अब ग़ज़लों और
दीवान में बस दर्ज़ रह गयी
अब कौन पलटता है
पुराने धूल भरे क़िताबों के पन्ने
इश्क़ बस कहानी
और दफ़्न फ़साना है
अतुल “कृष्ण”
रिश्ते अब रास्तों पर
नीलाम होते हैं
वफ़ा अब ग़ज़लों और
दीवान में बस दर्ज़ रह गयी
अब कौन पलटता है
पुराने धूल भरे क़िताबों के पन्ने
इश्क़ बस कहानी
और दफ़्न फ़साना है
अतुल “कृष्ण”