रिश्तें
मुझे रिश्तों को खोने से डर लगता है,
उनसे दूर होने से डर लगता है,
देखा है मैंने, कईयों को तडपते हुए,
अपनों के लिए, अपनों को तरसते हुए.
पास रहकर, शायद, हम समझ न पाएं,
मगर दूर रहने की नौबत, कभी न आए.
फिक्र और खयाल, मुखलिस, होता है,
जब हमारे पास अपनों का साथ होता है.