आसमाँ पर तारे लीप रहा है वो,
पिता की इज़्ज़त करो, पिता को कभी दुख न देना ,
गीत - मेरी सांसों में समा जा मेरे सपनों की ताबीर बनकर
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
You may not get everything that you like in your life. That
জয় শিব শঙ্কর (শিবের গান)
हमनें कर रखें थे, एहतराम सारे
जीवन के अंतिम पड़ाव पर लोककवि रामचरन गुप्त द्वारा लिखी गयीं लघुकथाएं
देख इंसान कहाँ खड़ा है तू
तुम रूठकर मुझसे दूर जा रही हो
सिमट रहीं हैं वक्त की यादें, वक्त वो भी था जब लिख देते खत पर