रिश्ता
जिन्दगी में किसी रिश्ते को,
बनाए रखना आत्म तत्व तक,
तो इतना अकाट उँचाओ रिश्ते को,
जिसे ना भाग्न सके कोई भी मानव।
रिश्ता वह नहीं होता जो,
जो भग्ने से खिन्न जाए,
रिश्ता तो वह होता है,
जो भाग्ने से भी ना खिन्ने।
रिश्ते में लड़ाई – झगड़े,
होना तो अनिवार्य होता है,
पर लड़ाई झगड़े के पश्चात भी,
ना खिन्ने जो भी रिश्ते,
वही सच्चे रिश्ते की स्मारक है।
रिश्ता वह नहीं जो,
व्यथों के वक्त सुध आए,
रिश्ता तो वह होता है,
जो अमन और व्यथा,
दोनों ही वक्त सुध आए वो।
दिल को दिल से आलिंगता रिश्ता,
अटूट विश्वास पे चलता रिश्ता,
अच्छे – बुरे का पहचान कराती रिश्ता,
जीवन में खुशियाँ लाती रिश्ता।
रिश्ते को चलाना है आत्मतत्व तक,
तो रिश्ते में अटूट विश्वास बनाना होगा।।
लेखक :- उत्सव कुमार आर्या
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार