रिश्ता
तेरा मेरा यह रिश्ता,
बड़ा ही है गहरा।
खुशियाँ समाए न,
जब देखूँ तेरा चेहरा।।
पास तेरे यूँ बैठकर,
मिलता बहुत सुकून।
मन के इस मंदिर में,
खिल जाते है प्रसून।।
तेरी मेरी राह अलग,
फिर भी अनंत चाह।
देखकर भरे नहीं मन,
नित बढ़ता प्रेम अथाह।।
साथ रहें न रहें हम,
सदा बना रहेगा स्नेह।
जब भी देखूँगा तुम्हें,
आनंदित होगी यह देह।।
—-जेपीएल