रिश्ता रस्म
करम चंद जिंदल अपने लाव लश्कर के साथ शार्दुल विक्रम सिंह की हवेली पहुंचे।
मनीषा एवं विश्वेश्वर की शादी के लिए दोनों परिवारों के मध्य मुक सहमति तो वर्षो से थी सिर्फ औपचारिकता कि मुहर लगनी शेष थी इसी औपचारिकता के निर्वहन हेतु करम चंद जिंदल राजा शार्दुल विक्रम की हवेली आये थे ।
राजा शार्दुल विक्रम सिंह ने करम चन्द्र जिंदल के स्वागत आओ भगत में उन सारी परम्पराओ का निर्वहन किया जो उनके राजवंश परिवार में निर्धारित थी।
करम चंद जिंदल को भी शार्दुल सिंह की मेहमाननवाजी खूब रास आयी और स्वागत के शोर में कभी कभी भूल जाते की वो लड़की के पिता है और उसका रिश्ता निश्चित करने आये है ।
करम चंद जिंदल ने उचित अवसर देखते हुये राजा शार्दुल सिंह से कहा राजा साहब मैं अपनी बेटी मनीषा के लिए आपके बेटे डॉ विश्वेश्वर सिंह को माँगने आया हूँ हलांकि हमारे एव आपके परिवारो ने मुद्दत से इस रिश्ते की स्वीकृति दे रखी है सिर्फ रस्मो की औपचारिकता होनी शेष है जिसका शुभारम्भ आपकी औपचारिक अनुमति मिलने के बाद होगी ।
राजा शार्दुल विक्रम सिंह ने बड़े गर्व एव अभिमान से कहा जिंदल साहब यह रिश्ता तो जैसे जन्मों जन्मों का है मेरे लिए तो
#आम के आम गुठलियों के दाम# जैसा रिश्ता है ।
राजा शार्दुल विक्रम सिंह जी की बात को सुनते ही करम चंद जिंदल को जैसे चार सौ चालीस बोल्ट का करंट मार गया हो उन्होंने राजा शार्दुल विक्रम सिंह से प्रश्न किया राजा साहब मैं समझा नही राजा शार्दुल विक्रम अपनी मूछों पर हाथ फेरते पुराने रजवाड़े रौं में बोले जिंदल साहब हमारे परिवार में पीढ़ियों से ही रियसत परिवारों की लड़कियां ही बहु बन कर आती रही है जो उच्च शिक्षित रहती मगर वो सामान्य रानी बनकर ही अपने पति का हाथ रियासत एव राज कार्यो में बाटाती आप विश्वेसर का विवाह हमारे कुल कहे या रियासत के इतिहास में पहली बार किसी रियासत परिवार में नही होने जा रहा है वल्कि भारत मे राजा रियासतों की अभिमान भूमि राजस्थान के उद्योगपति परिवार में होने जा रहा जो किसी भी दृष्टि से पुराने रियासत के शानो शौकत से भिन्न नही है केवल समय और विकास का फर्क है ।
अब राजा रियासत तो है नही अब वही राजा है जिसके पास
समयानुसार राजशाही बैभव एव सुविधाएं एव सम्मान है आपके घर रिश्ता वर्तमान समय के अनुसार किसी भी बड़े रियासत के घर रिश्ता करने के बराबर है।
दूसरी बात यह है कि विश्वेश्वर अपने दादा के नाम अस्पताल खोल रखा है और कुछ दिन पहले मनीषा ने बुधुआ का क्रिटिकल केश ठिक करके जवार में बहुत विश्वसनीय सम्मान अर्जित किया है जो विश्वेसर के दादा यानी मेरे पूज्य पिता जी के नाम को रौशन कर रहा है जब मनीषा इस घर की बहू बनकर हमेशा के लिए आ जायेगी तब वह डॉ विश्वेश्वर के साथ कंधे से कंधा मिलाकर दोनों ही सर्वदमन अस्पताल का नाम रौशन करेंगे जो हमारे खानदान की परम्परा के उच्च मानवीय मूल्यों के अनुसार होगा यह तभी सम्भव हुआ है जब बहु भी डॉक्टर है हुआ न
#आम के आम गुठलियों के दाम# अर्थात आपके यहाँ रिश्ता हर तरह से योग्य एव उपयोगी एव सम्मानीय एव अभिमान योग्य ही है ।
अतः आप विवाह का शुभ मुहूर्त अपनी सुविधनुसार बताये करम चंद जिंदल को बहुत सुकून राजा शार्दुल विक्रम सिंह की बात सुनकर मिला पूरे सप्ताह राजा शार्दुल विक्रम सिंह की मेहनवाजी से गद गद करम चंद जिंदल उदय पुर लौट गए ।
करम चंद के उदय पुर लौटते ही राजा शार्दुल विक्रम सिंह ने विश्वेसर के विवाह की तैयारियां प्रारम्भ करा दिया चारो तरफ एक ही बात की चर्चा विश्वेसर जी का विवाह होने वाला है सचमुच मनीषा बहुत सौभाग्य शाली है जिसे हमारे विश्वेश्वर सिंह जैसा सुंदर शौम्य गम्भीर बांका छोरा पाया चारो तरफ इसी बात की चर्चा जोरों पर थी कि विश्वेश्वर सिंह एव मनीषा को जोड़ी बहुत शानदार जबरजस्त और आकर्षक है जिसे ईश्वर ने स्वंय बनाया है ।
उधर उदयपुर पहुंचकर करम चंद जिंदल ने अपने खानदानी पुरोहित को बुलाया और मनीषा और विश्वेश्वर के विवाह का शुभ मुहूर्त विचारने के लिए निवेदन किया पण्डित जिग्नेश ने पुरोहित करम चंद थापर के अनुरोध पर मनीषा के लगन का शुभ मुहूर्त विचारा और बताया बीस नवम्बर को सबसे बढ़िया मुहूर्त हैं ।
करम चंद जिंदल ने विश्वेश्वर एव मनीषा के विवाह के मुहूर्त की सूचना राजा शार्दुल विक्रम सिंह को बताई और रस्म शुभारम्भ की शहनाई बजने लगी ।
काव्या और राजा शार्दुल विक्रम सिंह उदयपुर पूरे राजसी लाव लक्सर के साथ बहु मनीषा को देखने की रश्म जो कही कही गोद भराई रस्म भी कहते है के लिए पहुंचे।
करम चंद थापर ने जो व्यवस्थये कर रखी थी पुराने जमाने के राजशाही व्यवस्था एव आधुनिक स्टार कल्चर का मिश्रण था जिससे राजा शार्दुल विक्रम सिंह खासा प्रभावित हुए ।
मनीषा को देखने की रश्म या यूं कहें गोंद भराई की रश्म पूरी हुई इसके बाद सगाई की रश्म राजा शार्दुल सिंह जी के यहां सम्प्पन्न होना था ।
राजा शार्दुल विक्रम सिंह ने बहुत शानदार अपने आप मे अनूठा कार्यक्रम मनीषा और विश्वेश्वर की सगाई के लिए रखा था करमचंद जिंदल बिनीता बेटी मनीषा एव सभी रिश्ते नातों के साथ आये थे मनीषा औऱ विश्वेश्वर के सगाई की रश्म पूरी हुई।
सगाई के दिन से राजा शार्दुल विक्रम सिंह ने और मनीषा एव विश्वेश्वर के विवाह के एक माह बाद तक मुफ्त भंडारा तो नही कहा जा सकता उत्सव भोज का आयोजन रखा जिसमे पूरे क्षेत्र के सभी वर्ग अमीर गरीब ऊंच नीच सभी को आमंत्रण था।
बड़ी प्रतीक्षा एव रस्मो कसमो के बाद आखिर वह शुभ दिन भी आ गया जब मनीषा और विश्वेश्वर का शुभ विवाह होना था बीस नवम्बर बड़े धुभ धाम एव वैदिक रीति रिवाजों से मनीषा से सम्पन्न हुआ।
काव्या राजा शार्दुल विक्रम सिंह बहुत खुश थे साथ ही साथ करम चंद जिन्दल एव बिनीता जिन्दल भी बेटी मनीषा के मन माफिक स्वंय के मन पसंद रिश्ते से बहुत संतुष्ट थे राजा शार्दुल विक्रम सिंह ने करम चंद जिंदल से बड़े मजाकिया अंदाज में कहा मान गए न जिंदल साहब मेरे लिये विश्वेश्वर का मनीषा से विवाह #आम के आम गुठलियों के दाम # जैसा है कि नही पूरा वातावरण खुशियो के उल्लास के अट्टहास से गूंज उठा।।
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उतर प्रदेश।।