रिश्ता निभाने की कला
रिश्ता निभाने की
कला
अब समझ आई
अपने को बिल्कुल
पराया समझना है और
बोलना ही नहीं है
न हां करनी है
न ना करनी है
बस सिर झुकाकर
हाथ जोड़ देना है
जैसे आये
वैसे ही विदा कर देना
है
उनकी इज्जत भी
बचानी है
खुद को भी सम्मान
देना है।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001