रिमझिम बारिश
रिमझिम बारिश
रिमझिम रिमझिम आई बारिश,
मन को खूब भाया।
फुदक फुदक कर नहलाए हम,
तन में ठंडक आया।
गरज गरज कर बादल छाए,
बिजली कड़की चमक चमक कर।
सब भयभीत होकर भागा,
हम भी छुपी दुबक कर।
घनघोर अंधेरा छाया,
रूप डरावनी मौसम बनाया।
झम झम झम झम वर्षा आया,
मनमोहक दृश्य दिखाया।
घर में भागे सब डर के,
कैसी अजीब मौसम आया।
खाने का तैयारी शुरू,
रंग बिरंगी पकवान आया।
खूब छककर खाए हम लोग,
पूरी और पकवान।
रिमझिम रिमझिम फुहारों में,
दिए आनंद भगवान।
अनिल आदर्श
कोचस, रोहतास, बिहार
वाराणसी, काशी